Friday, June 18, 2021

एक चिडिया उडी आकाश में

 एक चिडिया उडी आकाश में ,

एक चिडिया उडी प्रकाश में ,

साँझ का मतलब जानती है ,

अंधेरो को भी पहचानती है ,

नन्हे पर लेकर ही जीती है ,

अजब सा साहस वो देती है ,

वो निकलना कब छोडती है  ,

अपने रास्ते कब मोडती है ,

तुम चिडिया से कम नही ,

क्या तुम में कोई दम नही,

बदल डालो अपना आकाश ,

बनो लो अपने नए प्रकाश ,

साँझ से पहले संभल जाओ,

पूरब की लाली फिर बन जाओ,

ना करो भरोसा नेता पर इतना,

दूर रहो उनसे भ्रष्टाचार से जितना ,

चिडिया बाज़ से निकल जाती है ,

परगंगा को मैला निगल जाती है ,

रात को आओ फिर से समझ ले ,

मुट्ठी में आलोक पूरब से ले ले ...........देश की स्थिति समझिये और एक नए भारत के निर्माण में , महिलाओ से सम्मान में अखिल भारतीय अधिकार संगठन के साथ मिल कार्य कीजिये ...अपने मत का प्रयोग कीजिये ...

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