Friday, June 18, 2021

मौत की ये , किस दुनिया में , रहने लगे ,

 मौत की ये ,

किस दुनिया में ,

रहने लगे ,

अपने में सिमट ,

कर आलोक ,

सब रहने लगे ,

मेरे मरने पर ,

कुछ तो कहेंगे ,

बुरा था या ,

अच्छा कहेंगे ,

पर आज मेरी ,

तन्हाई पर ,

न साथ रहेंगे ,

ना कुछ कहेंगे ,

दुनिया जिसे कहते ,

जादू का खिलौना ,

मिल जाये तो मिटटी ,

खो जाये तो सोना ,

कैसे चलेगा ये ,

एक बार इधर ,

आकर भी ना कोई ,

किसी के साथ चलेंगे ,

बस चार कंधो में ,

हमारे साथ रहेंगे ........................... दुनिया यानि सिर्फ अपने चेहरों की तलाश और अपने में जी जाना .......वही हाड मांस का आदमी कभी हिन्दू तो कभी मुसलमान बन जाता है कभी दलित तो कभी सवर्ण बन जाता है यानि मनुष्य कभी एक सूत्र में पिरो कर न देखा जायेगा ....शत शत अभिनन्दन मानव तुमको निश्चय ही तुम जानवरों से भिन्न हो भिन्न हो ..

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