क्यों लिखूं मैं रात पर जब सुबह हो रही है .......................क्यों जिउं मैं सपनो को जब हकीकत हो रही है ..................जमीं पे पैर रख कर चलने का समय आया है ...................क्यों रुकूँ मैं राह में जब मंजिल बाँट जोह रही है ..................क्या हर सुबह आपका मन यही नही कहता है ??????????????
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