Friday, June 18, 2021

कितने हताश दिखे तुम , आज रिश्तो के बाज़ार में ,

 कितने हताश दिखे तुम ,

आज रिश्तो के बाज़ार में ,

जो भी बिक रहा था वहा,

बस कुछ ही हज़ार में ,

कितना चाहा कोई मिले ,

बिना किसी मोल तोल का ,

पर दिखाई जो दिया कभी ,

पता नहीं किस  खोल का ........काश आप किसी को महसूस करके रिश्ता बनाते और फिर जीते

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