उस कुत्ते को मैं ,
क्या कहूँ जो ,
कुत्ता होकर भी ,
आदमी सा रहता रहा ,
और वो आदमी ,
जो न जाने क्यों ,
अपनी हरकतों में ,
अपने सा भी न रहा ,........
आलोक चांटिया
अखिल भारतीय अधिकार संगठन
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