Friday, June 18, 2021

देखो आँखे बोझिल हो रही है

 देखो आँखे बोझिल हो रही है .................हकीकत फिर ओझल हो रही है ...........कितनी देर समेटता आलोक तुझे ...................अँधेरे की बात सपने से हो रही है ..................अगर चाहो तो खुद देख लो आकर ................एक और दुनिया मेरे संग हो रही है .....................कल फिर इसी दुनिया की बात होगी ..........................पूरब की चाहत अभी से हो रही है ..........................९९ का फेरे में डूब कर हम रोज सपने की दुनिया और हकीकत की दुनिया में गोते लगाते रहते है और इसी लिए आपको कहना ही पड़ेगा

No comments:

Post a Comment