Saturday, June 19, 2021

भोर तिमिर की आशा से ही आता है,

 भोर तिमिर की आशा से ही आता है,

गर्भ का तम किलकारी हमे सुनाता है,

सूरज ड़ूबता पश्चिम मे पूरब की खातिर ,

तारों को तब  ही जीवन जीना आता है ,

जीवन के अंदर धुन मौत की बजती है ,

आंसू में सूरत किसी की ही सजती है  ,

जब भी न रहे आलोक जीवन में तेरे  ,

मान लेना अंधेरो में जिन्दगी बनती है l

जीवन में आने वाले हर विपरीत परिश्थिति को अगर आप अपनी तरह नहो मोड़ पा रहे है तो आप को अभी और संघर्ष करना है 

आलोक चांटिया

No comments:

Post a Comment