Friday, June 18, 2021

रोकर दिखाता तो वो , मेरा दर्द जान जाते ,

 रोकर दिखाता तो वो ,

मेरा दर्द जान जाते ,

मर कर दिखाता तो ,

वो सच मान जाते ,

शब्द कब से इतने ,

बेगाने होने लगे है ,

कि हर तरह हर जगह ,

बुत नजर आने लगे है ,

मैंने तो हर किसी पर ,

विश्वास करके ही ,

हाथ बढाया था कुछ ,

दूर तक चलने के लिए ,

पर यह क्या विश्वास ही,

रो दिया हर पल कि ,

अब वो कैसे यहाँ जिए ,

आलोक को भला कहाँ ,

पता बोलने का सलीका ,

गाली देकर देखना चाहे ,

किसने क्या कब सीखा,

आज चर्चा थी मेरी यहाँ ,

मेरे चले जाने के बाद ,

क्योकि मौत के बाद 

देश होता रहा है आबाद ,

कितने मुंह कितनी बात ,

रावन का ये कैसा साथ ,

राम को कहा से लाऊ ,

क्या फिर  लंका जाऊ ,

आदमी समझ लो मुझको ,

अपनी तरह ही बस एक बार ,

क्यों बार बार तन और 

मन जाता है यहाँ हार .................................

........................पता नहीं लोग ये क्यों समझाना चाहते है कि वो मूल्यों के कर्णधार है जबकि भराव पुत्र को परिस्थिति के कारण शुक्राचार्य बनना  पड़ा था .................हम ने विश्वास करना क्यों छोड़ दिया और विश्वास के साथ बलात्कार क्यों हो रहा है यहाँ पर रोज .............................आज मन दुखी है पर ???????

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