Saturday, June 19, 2021

जीवन जितने भी अर्थो में रही ,

 जीवन जितने भी अर्थो में रही ,

मौत का ही विकल्प था सही ,

साँसे न जाने कहा कहा घूमी ,

पर थक कर ना कही की रही ,

कितने दिनों तक क्या ना कहा ,

पर वो आवाज़ है ही नही कही ,

एक तस्वीर भी जो बसी मन में ,

चिता ने  उसको भी छोड़ा नही ,

इतनी नफरत क्यों जिन्दगी से ,

मौत कहूँ तो तू नाराज तो नहीं .....

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