Friday, June 18, 2021

क्या मुझको , कोई ले जायेगा ?

 क्या मुझको ,

कोई ले जायेगा ?

कोशिश कर भी लो ,

पर हाथ तेरे या ,

उनके कुछ न आएगा ,

एक गोश्त के कारण,

ही तो भेड़िये,

दौड़ आ जाते है ,

हम चिल्लाते है ,

रोते बिलखते है ,

पर उनके लिए मेरे ,

आंसू ख़ुशी का , 

सबब बन जाते है ,

हमारे आंचल में ,

अंततः ढूध के श्राप ,

और आँखों में दरिंदो ,

के सपने रह जाते है ,

काट कर बिकते गोश्त ,

की दुकानों की तरह ,

जिन्दा लेकर मैं ,

थक रही हूँ अब ,

अपने को लुटते देख ,

ख़ामोशी तेरी होती 

मेरे ही सामने जब ,

अब मुझे वहा भेज दो ,

जहाँ से कोई नहीं आता ,

आत्मा बन कर रहूंगी ,

सामने ना सही पर ,

ख़ुशी तो होगी कि,

अब लड़की बन के ,

जमीं पे दुखी न रहूंगी ........................................ लड़की के लिए हम सब कब ऐसा सोचेंगे कि उनको ऐसा लगे कि वह जंगल में नहीं एक मानव की संस्कृति में रहती है जहाँ उनकी इच्छा और गरिमा का ख्याल किया जाता है 

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