जो मर गए या ,
मरे से जी रहे है ,
दरकार वही ही चार,
कंधो की कर रहे है ,
जिन्दा है जो या ,
जिन्दा समझ रहे है ,
वही आज खुद पे ,
यकीन कर रहे है ,
रास्ते वो खोजते जो,
बनाते रास्ते नहीं,
जिन्हें भरोसा पावों पर ,
आलोक वही कर रहे है .........................................शुभ रात्रि
डॉ आलोक चांटिया
अखिल भारतीय अधिकार संगठन
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