Friday, June 18, 2021

आओ एक बार , मर कर देखते है ,

 आओ एक बार ,

मर कर देखते है ,

कोई कंकड़ ,

नदी में फेकते है l

वजूद रहे न ,

रहे बीच में कभी ,

एहसास बढ़ती ,

लहरों में देखते है l

आओ एक बार ,

मर कर देखते है .........................जीवन में सभी का सम्मान है उसके लिए अपने को रावण मत बनाओ 

डॉ आलोक चांटिया

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