Saturday, June 19, 2021

काँटों को मैंने देख देख..........,

 काँटों को मैंने देख देख..........,

फूल सा जीवन सीख लिया ........

बिना सरसता रेत से मैंने .....

एक घर बनाना सीख लिया .......

तपते जीवन को सूरज सा पा.......

दुनिया को चमकाना सीख लिया .....

क्यों डरते हो कमी से आलोक ........

अँधेरे में जुगुनू बनाना सीख लिया .................आपकी कोई भी कमी आपको एक बेहतरीन जीवन का मर्म दे सकती है अपनी कमी को जान कर काँटों के बीच गुल का जीवन जिन सीखिए .....

आलोक चांटिया

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