जब से एहसास में कमी हुई है ,
माँ जमी का एक टुकड़ा हुई है ,
ना जाने किसको भारत कहा,
बिना आंचल के माँ ही हुई है,
संभल जाये आओं हम सब ,
मत की फिर तारीख हुई है ,
अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपसे सुप्रभात करता है इस उम्मीद के साथ कि जिस माँ के आंचल को हमने ही अपनी शांति लिए बेच(पाक ) डाला उसका कर्ज चुकाने का वक्त है .....अपने मत का प्रयोग करे और उस को जीतिए जो भारत को समझता है ................मतदान करे देश का अभिमान करे .....डॉ आलोक चान्टिया
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