Saturday, June 19, 2021

मैंने अपनी आंखें क्या बंद कर ली

 मैंने अपनी आंखें

 क्या बंद कर ली 

लोग मुझे फिर से 

उस मिट्टी में समाई हुई 

असीमित ऊर्जा सर्जन की 

शक्ति से मिलाने चल दिए 

देखिए तो सही कैसे 

अपने चार कंधों पर लिए 

मैं मिट्टी में मिल जाऊंगा 

फिर भी सच मानो 

लौट कर आऊंगा क्योंकि 

यह मिट्टी ही मेरे तन को 

बनाती है बिगड़ती है 

मिलाती है जलाती है 

इसीलिए कैसे कहूं तुम 

आज मुझे फिर से 

वही ले जा रहे हो 

जिसके कारण से मिलने के 

बाद मेरे इस नश्वर शरीर को 

इस दुनिया में पा रहे हो 

कितना खुश नसीब हूं मैं 

आज मैं फिर उस मिट्टी से 

मिल पा रहा हूं 

ए दुनिया वालों अब मैं 

फिर अपनी सच्ची मोहब्बत के

 पास आलोक जा रहा हूं 

आलोक चांटिया

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