Friday, June 18, 2021

आज फिर चाँद में सुरूर है ,

 आज फिर चाँद में सुरूर है ,

लगता है कोई बात जरुर है ,

मांग के सिंदूर में चमकती ,

उन की जिन्दगी का गुरुर है ,

आज भी भूखी प्यासी रही ,

पर कल से कुछ मगरूर है ,

पर आज तो प्रियतम की है ,

जिन्दगी जो उसका नूर है ,

करवा का कारवां चला है ,

एक दिल में दो ही पला है ,

उनकी निशानी ऊँगली में है ,

परदेश में जाना उनका खला है ,

पर क्या हुआ उनका अक्स है ,

दिल के दरवाजो में एक नक्स है ,

चाँद को देख फिर निहारा उनको ,

पति से प्यारा क्या कोई शख्स है ,

आसमान के आगोश में चाँद आज है ,

तेरी पलकों में कोई फिर मेरा राज है ,

रात न गुजरेगी आज तनहा तनहा

शहनाई की वो रात आज पास पास है ...........जिस देश में इतने खुबसूरत एहसास हो पति पत्नी के लिए , अगर वह से किसी भी विवाहित महिला की सिसकी सुनाई दे तो क्या उसे चाँद में डूबी रात की ओस की तरह अनदेखा करके बस अपने में जीते रहे है या फिर महिला की करवा यात्रा के भाव को समझ कर उसे पुरे जीवन हँसाने का यत्न करे ........................आप सभी को करवा चौथ के असली अर्थ की बधाई ...

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