Friday, June 18, 2021

कितना तनहा दिखा फूल , डाली पे खिल कर भी ,

 कितना तनहा दिखा फूल ,

डाली पे खिल कर भी ,

किसी ने तोड़ लिया ,

किसी ने उफ़ तक न की ,

सभी को चाहत उसे ,

अपने दमन में पिरोने की ,

उसके घर में भी मातम ,

पर किसी ने आह तक न की ,

है सूनी सूनी हर डाली उसकी ,

हर पाती अनाथ  सी दिखी ,

उजड़ा सिंदूर मांग से पौधे का ,

किसी को फ़िक्र न रही अश्को की

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