Friday, June 18, 2021

अँधेरे में छूटे या , छूटते चले गए ,

 अँधेरे में छूटे या ,

छूटते चले गए ,

वो लोग कौन थे ,

और कहा निकल गए ,

दर्द देकर पा लिया ,

जन्म फिर यहाँ ,

माँ बन गयी मगर ,

तुम गए फिर कहाँ,

सींचा तुमको खून से ,

अपना अंश मान कर ,

छोड़ कर तुम गए कहाँ ,

दर्द मेरा सब जान कर ,

कहते नहीं क्यों सुख ,

ढूंढने आये थे यहाँ ,

दर्द सिर्फ आलोक का,

तिमिर चाहता कौन कहाँ ,

......................क्या मैं सच के रास्ते  छोड़ कर उन्ही पर बढूँ जिस पर चल कर लोग आज प्रगति को परिभाषित कर रहे है ??????????????? डॉ आलोक चान्टिया, अखिल भारतीय अधिकार संगठन

[23:10, 10/30/2020] Alok Chantia: हर तर

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