जो रात के अंधेरो से डरते नही ,
वही उजालो का इंतज़ार करते है ,
जो पश्चिम में भी देखते तरुणाई को ,
वही समझते पूरब की अरुणाई को ,
आओ आलोक में चले फिर दो पल ,
तमस का क्या भरोसा कैसा दे कल ..............आप सभी को अखिल भारतीय अधिकार संगठन के साथ सुप्रभात आइये इन पंक्तियो के साथ एक खुबसूरत दिन का आरंभ करे ताकि आपकी हसी के साथ मई अपनी चोट का दर्द भुला रहू
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