मुझे छोड़ जिन्दगी ,
मौत की हो गई ,
बेनाम बदहवास ,
बकवास हो गई ,
इधर उधर ना जाने ,
कहा कहा भटकी ,
थक हार के फिर ,
किलकारी हो गई.................क्या यह सच नही है कि जन्दगी के साथ तो मौत होती है जो एक तथ्य है .पर मौत के साथ या बाद भी जिन्दगी होती है ..यह एक दर्शन है पर यह दर्शन हमें सुकून देता है और हम सो जाते है एक सुनहरे कल का सपना लेकर
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