उजाला भी हो जायेगा मयस्सर ,
पहले अंधेरो से तो प्यार कर लो ,
दिन भर की अपनी हकीकत में ,
थोडा सपनो को दो चार कर लो ,
कौन सोता है सिर्फ आलोक ऐसे ,
कुछ सांसो पर तो ऐतबार कर लो ,
चलो अब दुनिया में रहकर न रहे ,
ठंडक में रजाई से प्यार कर लो ,
कल फिर मिलेंगे ऐसा भरोसा है ,
ऊपर वाले को अब सलाम कर लो .........ऐसे ही रात का इस्तेकबाल करके खो जाइये प्यारी सी नींद में और इंतज़ार कीजिये जब पूरब से आलोक आपको फिर जगाने आएगा
No comments:
Post a Comment