कहते है सब पानी सर से ,
ऊचा हो रहा है ,
बस करो अब अपनी हरकत,
देश का सर नीचा हो रहा है ,
नेता है हसता सुन कर ,
कल युग में ऐसी बाते ,
कहता है कंस जिन्दा ,
देवकी रोकर काटे रातें ,
इन देश के लोगो को ,
कीड़ो की तरह रहना ,
नेता हमें बनाना ,
बस मत देते रहना ,
भेंड की तरह जीवन ,
बिन दिमाग के काम करना,
जिन्दा ये हमें रखते ,
खुद को आता है मरना ,
आलोक न जाने कब ये ,
देखे,पानी गया है सर तक ,
इनके पाप का पिटारा ,
जनता फोड़ेगी जाने कब तक ...........अब पानी सर से ऊपर जा चुका है और देश की जनता को यह सोचना होगा आप अपने बीच में एक रुपये चोरी वाले को पूरा जीवन चोर कहते है ...उसे पाने घर नही आने देते ....पूरा जीवन उसे चोर चोर कह कर लज्जित करते है...उसे जेल में सड़ा दिया जाता है......उसकी जमानत नही हो पाती.....पर एक नेता चोर होकर भी हमारे से सम्मान पता है ...हम ही कहते है कि उसका अपराध अभी सिद्ध कहा हुआ है.....उसकी जमानत हो जाती है ...चोरी के पैसे से ही वह मजा लेता है ...गाड़ी पर घूमता है ... बीमारी का बहाना करके वह जेल जाने से बच जाता है और सालो बाद उसे आरोपों से मुक्त भी कर दिया जाता है .........ऐसे लोगो के पीछे हम भागते है उन्हें नेता कह कर पूजते है और ऐसे चोरो और घोटालो में लिप्त लोगो को देश सौप देते है........कब तक हम ऐसे लोगो को देते रहेंगे .....क्या हम भी पाप में शामिल है ....पानी सर चढ़ कर बोल रहा है ......
अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपसे जागने की अपील करता है ...........डॉ आलोक चन्टिया
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