देश भर में स्ववित्तपोषित शिक्षको को समर्पित जो सरकार द्वारा शोषण का शिकार है ................
वो नोंच लेते है कफ़न मेरा ,
अपने बच्चो को पहनाने को ,
खाली थाली हमको मिलती ,
रोटी उनको मिलती खाने को ,
बूंद बूंद कर हम संजोते ,
वो रोज ही जाते मैखाने को ,
कल गरीब था आज भी है ,
शिक्षक तार तार जी जाने को ,
फैलेगा क्या आलोक कभी ,
या अँधेरा ही है आने को
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