Thursday, July 3, 2025

दुनिया में कोई कुछ भी नहीं जानता है- आलोक चांटिया "रजनीश"


 

दुनिया में कोई कुछ भी नहीं जानता है
बस उसने जो सीखा है
उसे ही सच मानता है
अनुकरण की प्रक्रिया में चलता रहता है
उसे ज्ञान हो गया है यह कहता रहता है
वह यह भी नहीं जानता कि
ज्ञान और सीखने में फर्क कितना है
ज्ञान को सीखना नहीं
वह अपने आप अंतर मन से जागृत हो जाता है
सीखने से तो सिर्फ शिक्षा मिलती है
और शिक्षा में जो भी बताया जाता है हमें
सिर्फ वही दिखाया जाता है
भला कौन जानता है कि
कोई व्यक्ति सही में कौन है
क्योंकि सच्चाई से तो हर कोई मौन है
सिर्फ उसके नाम के कारण हम
उस की आकृति दिमाग में बना लेते हैं
और हम उसे जानते हैं यह मान लेते हैं
ज्ञान तो तब है जब दुनिया में
एक ही नाम की हर वस्तु व्यक्ति
हमारे अंतर मन में नाम आते ही दिखाई देने लगे
और बिना कुछ जाने मानने लगे
इसीलिए जो यह कहता है कि
वह किसी शहर को जानता है
किसी देश को जानता है
किसी व्यक्ति को जानता है
नदी झील नाले पर्वत भूकंप
ज्वालामुखी ब्रह्मांड को जानता है
वह सभी झूठ बोल रहे हैं
उन्होंने सीखने की प्रक्रिया में
जो इकट्ठा कर लिया है
उसी से अपने को तौल रहे हैं
सच में हर व्यक्ति अज्ञान के
सहारे ही चलता रहता है
और वह सबसे बुद्धिमान है
इसी भ्रम में अपने को मानव कहता रहता है
आलोक चांटिया रजनीश

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