क्यों इतनी है धूप,
छाँव की आस नही ,
क्यों प्यासा है मन ,
नीर क्यों पास नही ,
बादल है चहुँ ओर,
खेत क्यों सूख रहे ,
अनाज भरे मठोर,
बच्चे क्यों भूखे रहे ,
आलोक पास में सबके ,
फिर अँधेरे में क्यों रहे.........................
आलोक चान्टिया
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