रात का डर किसको सुबह की आहट में ,
मौत का डर किसको तेरी चाहत में ,
हर इसी को इंतज़ार समय की अंगड़ाई का ,
पैमाने का डर किसको आँखों की राहत में...१
जब दामन से तन्हाई लिपट जाती है ,
आँखे खुद ब खुद छलक आती है ,
डरता हूँ कही कोई देख ना ले मुझको ,
इसी से हसी ओठो पे मचल जाती है ....२
खो जाना बेहतर है पाने के लिए ,
चले जाना बेहतर फिर आने के लिए ,
सभी में छिपी है रब की एक सूरत ,
तुझको जीना बेहतर उसको पाने के लिए ...३
मौत का डर किसको तेरी चाहत में ,
हर इसी को इंतज़ार समय की अंगड़ाई का ,
पैमाने का डर किसको आँखों की राहत में...१
जब दामन से तन्हाई लिपट जाती है ,
आँखे खुद ब खुद छलक आती है ,
डरता हूँ कही कोई देख ना ले मुझको ,
इसी से हसी ओठो पे मचल जाती है ....२
खो जाना बेहतर है पाने के लिए ,
चले जाना बेहतर फिर आने के लिए ,
सभी में छिपी है रब की एक सूरत ,
तुझको जीना बेहतर उसको पाने के लिए ...३
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