आलोक चान्टिया कीकविता और शायरी - ALOK CHANTIA
Thursday, October 31, 2019
जिस आँगन में दिखे अंधेरा
जिस आँगन में दिखे अंधेरा,
वहीं पे दीप जलाना ,
जो मुस्काना भूल गए,
उन होठों को मुस्काना,
जिन आंखों ने देखे सपने,
तुम सच कर दिखलाना.
ऐसा यदि कर सके तो,
समझो सच हुआ दीप जलाना....................अखिल भारतीय अधिकार संगठन
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