आलोक चान्टिया कीकविता और शायरी - ALOK CHANTIA
Friday, October 11, 2019
वो हमें जिन्दगी जीना सीखा रहे थे
वो हमें जिन्दगी जीना सीखा रहे थे
हवाओ का रुख मुझे ही बता रहे थे
जिसने खेई नाव समुन्द्र के मझधार में
उसको ठहरे हुए पानी से डरा रहे थे|
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