Friday, October 11, 2019

कितने जीवन को जीकर तुम आये

कितने जीवन को जीकर तुम आये ........
फिर मानव बन कर तुम क्या पाए .........
जो था उसको भी मिटा ही डाला.......
या इस वसुधा पर  स्वर्ग भी लाये ..........
हमको इस बात पर बड़ा अभिमान कराया जाता है कि हम मनुष्य है और सर्वश्रेष्ठ है पर क्या प्रकृति उतनी सुंदर रह पाई जितनी उसको रहना चाहिए था ....ये मुक्तक आप के सोचने के लिए ....आलोक चान्टिया

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