मेरे दर्द में शरीक न कोई हुआ ,
सभी अपने दर्द में ही डूबे रहे ,
पूछा तो बोले क्यों मैं करूँ ,
कब आप मेरे में शरीक रहे ,
मसला कुछ ऐसा आदमी का ,
जानवर की तरह जीने लगा ,
अपनी अपनी कह कह कर वो ,
जंगल की तरह फिर रहने लगा ..............
सभी अपने दर्द में ही डूबे रहे ,
पूछा तो बोले क्यों मैं करूँ ,
कब आप मेरे में शरीक रहे ,
मसला कुछ ऐसा आदमी का ,
जानवर की तरह जीने लगा ,
अपनी अपनी कह कह कर वो ,
जंगल की तरह फिर रहने लगा ..............
No comments:
Post a Comment