लड़ ...........की
लड़ ...........के ,
की से के तक ,
लड़ लड़ कर ,
हम क्या कर रहे है ,
क्या हम जी रहे है ,
या उसको शराब ,
की जगह पी रहे है ,
कितने दुखी दिखे ,
जब उसकी पदचाप ,
गर्भ में सुनी तुमने ,
फिर क्यों लूटा ,
सड़क,बस , शहर ,
हर कही तुमने ,
कैसे मनुष्य हो तुम ,
उस जानवर से बेहतर ,
जो कभी कही भी ,
मादा को नही भरमाता,
न तो माँ कहता ,
ना बहन , पत्नी और ,
प्रेमिका बता कर खुद ,
एक प्रश्न बन आता ,
एक बार तो सोच लो ,
औरत का क्या करना ,
तुमको अपने जीवन में ,
क्यों कि हांड मांस में ,
उसके हिस्से क्यों आती ,
मौतों के तरीके जीवन में .............................जीवन में हम अपने लिए जीवन के सुख तलाशते हा और औरत के लिए मौत के प्रकार ???? क्या ऐसा नहीं है तो फिर औरत प्राक्रतिक तरीके से इतर ज्यादा क्यों मर रही है ??????????????/वह किसी जंगल में रह रही है ????????????? डॉ आलोक चांटिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन
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