औरत
भला मिट्टी कब देखती है
कौन सा पौधा छोटा है
कौन बड़ा है कौन टेढ़ा है
कौन मेरा है कौन लंबा है
कौन नाटा है किस में कांटे हैं
किस में फूल है किस में फल है
किसमें पत्ती हैं कौन खरपतवार है
कौन घास है कौन फूस है
कौन नागफनी है
मिट्टी तो सिर्फ सब को अपना
समझ कर अपने गले लगाती है
सबके हिस्से में उसके अंदर की
सारी खूबियां बाहर करने का
अवसर ही लाती है
किसी से कब कहती है
उसे कैसे पौधे की चाहत रही है
क्या उसने आज तक किसी से
अपने मन की थाह कही है
आलोक चांटिया
No comments:
Post a Comment