दूर खड़े होकर देखने पर
आसमान भी नीला
दिखाई देता है
क्षितिज के उस पार
धरती से आसमान
मिलता भी दिखाई देता है
दूर से देखने पर
समुद्र भी आगे जाकर
ढलान पर दिखाई देता है
दूर से देखने पर
एक विशाल तारा भी
टिमटिमाता हुआ दिखाई देता है
किसे अच्छी नहीं लगती हैं
दूर के देशों की
अजीबो गरीब कहानियां
किसे सुंदर नहीं लगती हैं
दूर से किसी परियों की बातें
पर क्या पास आने पर
यह सच होता है या फिर
आसमान अपनी जगह होता है
धरती अपनी जगह होती है
क्षितिज जैसा कुछ भी नहीं होता है
ना कोई परी होती है
ना कोई भी सच्ची कहानी होती है
सच यह है कि तुम सब
दूर खड़े होकर देख रहे हो
इसीलिए सच से दूर हो रहे हो
आलोक चांटिया
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