Monday, January 2, 2023

समय की कीमत

 कली के भीतर ही,

 फूल का सार है ,

अंधेरों में ही रोशनी का,

 निकलता संसार है ,

समय कुछ भी नहीं सिर्फ,

 मन का फेर है ,

सब कुछ तुम्हारी मुट्ठी में है ,

नहीं समझे तो सब अंधेर है,

 यह समझना ही तुम्हारी भूल है, 

कि कल एक सुंदर समय आएगा, 

जो अपने अंदर को पहचान लेगा, 

वही बाहर भी सुख पायेगा ,

समय तुम्हारे रहने न रहने का, 

एहसास कराने का एक पैमाना है, 

जिसने यह समझ लिया उसका ,

अस्तित्व ही समय ने स्वयं माना है,

 समय को महीना, हफ्ता, साल, 

कहकर जिन प्रसन्नता को ,

तुम विकल दिखाई दे रहे हो,

 वह तो सिर्फ तुम्हारी यात्रा है, 

क्या उसे तुम कोई पूर्णता दे रहे हो ,

जिस दिन अपने अंदर के,

 आदमी को पहचान लोगे, 

आत्मविश्वास को इस संसार में, 

एक नया नाम दोगे ,

वही क्षण होगा तुम्हारा नया साल, 

और तुम्हारे जीवन का एक अर्थ, 

वरना यूं ही गुजरते रहेंगे साल दर, 

साल और तुम होगे सिर्फ तदर्थ। 

आलोक चांटिया

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