Wednesday, January 18, 2023

अंधेरा भी कुछ देता है

 मुझको मालूम है ,

कि मेरी जिन्दगी में ,

सुबह का सबब ,

थोडा कुछ कम है ,

लेकिन जरा उन ,

अंधेरो से पूछो ,

जो मेरे साथ है,

रौशनी उनका दम है ,

बंजर सूखी जमीन ,

रौंदी गयी पावों से,

सुबह से नहीं वो भी ,

अँधेरी राह से नम है ........................

कष्ट से भागने के बजाये उनका स्वागत कीजिये क्योकि दर्द देकर ही सृजन का अर्थ स्पष्ट किया जाता है|


डॉ आलोक चान्टिया

अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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