Saturday, January 14, 2023

मैं पश्चिम का सूरज हूं

 मै पश्चिम का सूरज हूँ ,


तुम पूरब के बन जाओ ,


मै निस्तेज तिमिर का वाहक ,


तुम पथ के दीपक बन जाओ ,


मै और तुम दोनों है रक्तिम ,


अंतर बस इतना पता हूँ ,


तुम उगने का अर्थ लिए ,


मै उगने की राह  बनाता हूँ


....डॉ आलोक चांटिया  

No comments:

Post a Comment