Tuesday, December 4, 2012

sapne la rha hun

दुनिया का अँधेरा आँखों में बसा कर ............................बंद पलकों में अब उनको छिपा कर .......................एक सपना ढूंढ़ने कही जा रहा हूँ ..................सच मानो तुझे अपने पास ला रहा हूँ ....................हर कोई देखता जब बातें होती तुमसे .......................तुमको सन्नाटो में करीब ला रहा हूँ ......................शुक्र है अँधेरा और सपनो का आलोक ..................रात में अकेले खुद न सोने जा रहा हूँ .......................दुनिया में न जाने कितने वो नही पते जो वह चाहते है .ऐसे में रात का आना कितना सुखद है क्यों की अँधेरे में डूब कर सपनो में खोया जाता है ..........और जो न पाया वही आँखों में आता जाता है .......तो देर कैसी कहिये शुभ रात्रि

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