Thursday, December 6, 2012

रात सिखा गयी मुझको ........................

रात ने हमको तारो से मिलाया ..................रात ने सपनो को पास बुलाया ........... आलिंगन का दौर बंद पलकों में ......................... रात ने सृजन का मतलब समझाया .................रात से मिलकर थकान का एहसास ..................एक पल सोने का मजा मुझे दिखाया ......................आलोक को क्यों पूछूं जब रात है .....................सुहाग को सुहागा सोने सा बनाया .....................कहते है रात यानि कालिमा का अपना ही मजा है और अगर रात ना होती तो सुकून के वो क्षण न होते जिनके सहारे हम खुद को महसूस करते है .................सच है ना तो कहिये शुभरात्रि

No comments:

Post a Comment