Tuesday, December 18, 2012

रात आ ही गयी

क्या लिखू कि रात आ गयी ..................क्या कहूँ कि कुछ सुकून पा गयी ...................पर सन्नाटो को इतना क्यों लाये .......................कि आंख खुद को नींद में बंद पा गयी ................मैं जानता हूँ कि  आलोक सब कुछ नही ..................पर अँधेरे में एक अहमियत दिखा गयी .........................कोई नही तो सपने साथ देने आ गए अकेले ..........................एक सुनहरी दुनिया फिर आगोश में  आ गयी ................शुभ रात्रि

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