अब ना चिडियों की चचाहट आती है ................ना कोयल की कूक कानो में जाती है .........मस्जिद की अजान ना मंदिर की घंटी .................ये सुबह जाने क्या दिखाने लाती है ................लगता है आदमी के साथ रहने का असर है ..................देखिये उसका कैसा ये बसर है .........................फिर भी चील्ल्पो में लिपटी सुबह बताती है .........................कैसी भी हो गयी पर वो रोज आती है ..........................हम लोगो ने सुबह को कितना बदल डाला पर कभी एक बार नही सोच पाए की की आदमी ने खुद को बर्बाद किया पर सुबह का अंदाज की बदल डाला .....चलिए तो भी कहना तो है ही सुप्रभात
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