Wednesday, December 12, 2012

जीता वही जो रहा है अकेला

जीवन के पथ पर जो रहा अकेला .....................सूरज की तरह चमका बिन लगाये मेला ...............अँधेरा मिला तो तारें भी हस लिए ..................जीवन का राज है आज तक झमेला .................लेकर हम चल रहे जो ये साँसे ................भरोसा किया क्यों तुमने है इन पर .................... कर्म का पथ हमको पूरब दिखाए ................पश्चिम पर भरोसा करू आज किन पर ...............शुभ रात्रि

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