Saturday, December 1, 2012

kab miloge mujh se

रोज रात कहती है मुझसे ........आलिंगन मैं करती तुझ से .........कब तक यूँ ही मिलोगे मुझसे .............पूरी कब बन पाऊँगी तुझसे ..............अब मुझसे ये सहा न जाता ...................जब पूरब तुमको है गले लगाता................चलो आज फिर सपने दिखाऊ .............शायद तुमको पूरा पा जाऊ ...................... क्या इस प्रेम को आपने कभी महसूस किया हैं और नही किया इसी लिए कब चले जाते है पता नही चलता .............इसी लिए कहिये शुभ रात्रि

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