Monday, December 31, 2012

क्या उसको याद करना है हमको

हर कोई अपनी ख़ुशी पाना चाहता है ..............
हर कोई नव वर्ष मुबारक कहना चाहता है ......................
वो खो गयी न जाने कहा इस भारत में आलोक ....................
क्या उसकी हसी को कोई फिर पाना चाहता है ........................
क्यों मनाये आज  कालिमा में डूबे इस पल को हम ..................
क्या ऐसे ही मनाएंगे हम उसके जाने का ग़म..........................
ऐसे ही माँ को बाँट  कर हम नाचे थे १९४७ में ...................
आओ आज की रात जाग ले जब तक है दम में दम ................................    शायद हम सबको एक मौन के साथ इस नव वर्ष में अपने आप से यह पूछना चाहिए कि क्या वर्ष २०१३ में जब किसी लड़की को जरूरत पड़ेगी तो हम जाती , धर्म , रिश्ते से दूर सिर्फ उसको उसकी हिफाजत के लिए आगे आयंगे .........................सोचिये और देखिये क्या आपने एक बार सच्चे मन से देश के लिए सोचा है ????????????????? उस भारत की बिटिया को क्या हम आज की रात देकर पूरे वर्ष का भारत नव वर्ष सा कर सकते है ....................देश है आपका ..सोचना है आपको .................अलविदा २०१२ एक नहीं कई बलात्कार के साक्षी वर्ष के रूप में .................................शुभ रात्रि २०१२ अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Wednesday, December 26, 2012

कब समझोगे मुझको

रात जैसे जैसे गहराई..............
वो फिर दर्द में आई ...............
क्या अभी चुप रहोगे पार्थ.........................
.मैं  लड़की बन के  क्या पाई.....................
माँ कहकर भारत को लूटा.......................
बहन को लूटा किसने भाई ......................
.दम तोड़ रही लाज  देश की ....................
मानवता देखो कितनी शरमाई .................
.मैं रहूँ ना रहूँ कल यहाँ ........................
दे दो जीवन लड़की को जो लायी ...............................आज भारत की अस्मिता हार गयी और हमारे देश में अपनी इज्जत और जीवन को दावं पर लगा चुकी लड़की ( आज तक हम उसका नाम नही ले सके .सब कुछ लुटने के बाद उसके नाम के लिए इतनी गोपनीयता बताती है कि हम सब किय्ना पाखंडी  है ) को जीवन देने के लिए सिंगापुर ले जाया जा रहा है ........अगर मैं कभी कोई अच्छा काम किया हो तो वह भारत पुत्री इस देश कि मर्यादा बन कर फिर आये .......................हम सब तुम्हरे साथ है ...मेरे देश कि लाज ???????????????????????????????/शुभ रात्रि

Tuesday, December 25, 2012

दिया कहा किसने

जो चौखट पर आज मेरे जल कर गया है ................
वही था जो मजार पे मुझसे मिल कर गया है ............
मेरे अँधेरे को सिर्फ समझा है उसने आलोक .............
उसको दिया का नाम इस संग दिल दुनिया ने दिया है ...............

Saturday, December 22, 2012

मेरे तन को मन से अलग न करो

तोड़ का निशा का जाला उजाला आया ....................पर खुद को अँधेरे में कितना पाया ......चीख रही थी धरा अपने संग  संसर्ग से ................भोग्या नही हूँ मैं मानव तेरे प्रसंग से .................क्यों खोद कर तन मेरा मन जलाया ....................प्रकृति कह  चोट  देने का कौन मर्म पाया ...................माना मैं नारी हूँ गंगा की ही तरह आलोक .....................पर मैली , बंजर क्यों करते हो मेरी काया ...................बलात्कार के खिलाफ आवाज़ ही नहीं एक क्रांति का जय घोष कीजिये ताकि लड़की न तो चारदीवारी में सिमटे और ना ही अपनी मौत की भीख मांगे .......................यह सच है कि प्रकृति में हम एक दुसरे के पूरक है पर बिना समय बदल का बरसना सिर्फ तांडव मचाता है ..............आज फिर  प्रकृति से छेड़ छाड़ हुई है ...................ख़त्म कर दो उन हाथो को जिनसे वो जार जार हुई है ...................मुझे भारतीय होने में शर्म आती है ...........सुप्रभात

रात में जागने की बारी है

दर्द में डूब रही है आज रात मेरी ...............दर्द से ऊब रही है आज रात मेरी  .............ऐसे दर्द का लम्हा गुजरा उसके तन मन से ........................भारत के मैले आंचल में आज रात है मेरी ....................ये कैसी रात है जो ढोल पीट सो जाते सभी .............वो रोती बिलखती सोचती मौत क्या होगी कभी ................कौन कहता है ये देश है भाई बहन का आलोक ...................हर रात किसी की इज्जत तार तार हुई अभी ............................केवल यह मत कहिये की रेप करने वालो को सजा दो बल्कि देश के संविधान के निति निदेशक तत्व की ५१अ के अंतरगत  महिला की अस्मिता और गरिमा के लिए कानून बनाना चाहिए | ना जाने क्यों सैकड़ो कानून बना कर देश महिलाओ को भ्रमित कर रहा है .....................सोचिये और कहिये ना शुभ रात्रि

Friday, December 21, 2012

कोहरा छा रहा है तन में

मन कहता है कोहरा ना हो जीवन में ................तन कहता है है कोहरा ही हो जीवन में ..................धूप से खेल खेल कर रोज दिन बिताते ......................आज कुहासा क्यों मिल आया है जीवन में ..................जिन्दगी कुछ सिकुड़ती , दुबकती हर पल ...................ना जाने कौन छीन ले और हो ही न कल ..................या कैसा है समय आलोक सभी के जीवन में .................बेटी माँ मांग रही है मौत भारत के जीवन में ..........................केवल रैली और धरना प्रदर्शन करके हम सब को बचने की कोशिश नही करना चाहिए .......पुरे देश को फंसी और मृत्यु दंड के लिए आन्दोलन चलाना चाहिए ....................कुछ लोग कहते है की यह जानवर जैसी क्रिया है ...........पर मैं आपको बताता हूँ की पृथ्वी पर कोई ऐसा जानवर नही है जो मादा के साथ बिना बिना सहमति के शरीर संसर्ग कर सकता हो .....हम तो जानवर कहलाने लायक भी नही रह गए ..................क्या आपको पूरा विश्वास है की आपके इस मौन से एक दिन आपका घर रुदन की चपेट में नही आएगा ..............................यही है कोहरा का सही अर्थ .................रोकिये ये अनर्थ ...............सुप्रभात
आज की रात कोई आने वाला है .................आज ही अभी कोई जाने वाला है ...............किसी को आँख में सपने सजाने है ......................किसी को सोने के हज़ार बहाने है ...............मन नही करता कोई बात ही कहूँ ......................कोई नही है जिस साथ एक पल  मैं रहू .................पर दिन रात का यह चलता सिलसिला .......................क्या कहूँ कब कहा कौन खोया या मिला .........................आप कही सोने तो नही जा रहे है .देखिएगा कही कोई लड़की आपकी सहायता तो नही चाहती ..................उसका बलात्कार होता रहे और हम सोते रहे ...........बाद में रैली , धरना , करके हम बलात्कार महोत्सव मनाये ..................क्या मैं गलत हूँ ??????????????? शुभ रात्रि

Thursday, December 20, 2012

आँख बोझिल हो रही है

देखो आँखे बोझिल हो रही है .................हकीकत फिर ओझल हो रही है ...........कितनी देर समेटता आलोक तुझे ...................अँधेरे की बात सपने से हो रही है ..................अगर चाहो तो खुद देख लो आकर ................एक और दुनिया मेरे संग हो रही है .....................कल फिर इसी दुनिया की बात होगी ..........................पूरब की चाहत अभी से हो रही है ..........................९९ का फेरे में डूब कर हम रोज सपने की दुनिया और हकीकत की दुनिया में गोते लगाते रहते है और इसी लिए आपको कहना ही पड़ेगा .....शुभ रात्रि

Wednesday, December 19, 2012

लड़की नही मैं माँ बेटी हूँ

क्या कहता है देश वेश में कौन है आया .............माँ को लूटा बेटी को लूटा टूटा रिश्ता का साया .............सिसक रही वो लड़की जो भारत में रहती है .......................क्या पाया बलात्कार सत्कार नही उसने पाया ..............धिक्कार रही जननी अपनी कोख आज क्यों ...................क्या पशु ले रहे जन्म पुरुष बस नाम है पाया ...............कैसे हस पाएंगी बेटी खुद तेरे आँगन में भारत .................रुक कर देखो लक्ष्मी जी रही लेकर काला  साया ........................मेरे देश के पुरुषो कम से कम उस रावन और कंस से ही प्रेरणा ले लो जिसे हमने राक्षस कहा पर कभी उन्होंने नारी के सतीत्व को चोट नहीं पहुचाई ............पर यह क्या हो रहा कि हमको शर्म आने लगी गई .................क्योकि हर लड़की सड़क पर डर के जाने लगी है ...................सभी लोग मिल कर लडकियों के जीवन के लिए सोचिये और देश में बलात्कार के लिए मृत्यु  दंड की सजा का आन्दोलन चलिए ...........अखिल भारतीय अधिकार संगठन

सुबह का मतलब समझे जो है

दौड़ सुबह को देख सूरज पूरब में आया ....................खुद चमका आलोक और दुनिया चमकाया ...................ऐसा नहीं कि गगन को रंग कोई न मिला हो ....................नीला हुआ आकाश संग पीला प्रकाश है पाया ...............................तुम बढ़ कर रंग खिला लो अपने जीवन में ...............निशा से छूट उजाला मुक्ति सभी में लाया ................मैं भी दौडू तुम भी दौड़ो क्रम के पथ पर ............................क्यों करते हो साँसों को अपनी रोज निर्थक जाया ..............सुबह के रंगों को समझिये और कहिये ..........सुप्रभात

और रात हताश हो गयी

मैं क्यों कहूँ  आज फिर रात हो गयी ............ शायद सूरज की पश्चिम से बात हो गयी ....................हर कोई अपना आराम ढूंढ़ता है यहाँ ................बस सुबह का उजाला देख रात साथ हो गयी ...............ऐसा नही कि आलोक को नही कोई तलाश .......................पर क्या करें जिन्हें तलाशा उनसे उचाट हो गयी ..................कहते है हीरा चमकता अँधेरे में अक्सर ....................इसी लिए कोयले में एक शाम हताश हो गयी ...................सोच कर देखिये और अपने में हीरा ढूढ़ लीजिये ...पर इसके लिए कहना पड़ेगा ......शुभ रात्रि

Tuesday, December 18, 2012

सुबह को क्या बना डाला हमने

अब ना चिडियों की चचाहट आती है ................ना कोयल की कूक कानो में जाती है .........मस्जिद की अजान ना मंदिर की घंटी .................ये सुबह जाने क्या दिखाने लाती है ................लगता है आदमी के साथ रहने का असर है ..................देखिये उसका कैसा ये बसर है .........................फिर भी चील्ल्पो में लिपटी सुबह बताती है .........................कैसी भी हो गयी पर वो रोज आती है ..........................हम लोगो ने सुबह को कितना बदल डाला पर कभी एक बार नही सोच पाए की की आदमी ने खुद को बर्बाद किया पर सुबह का अंदाज की बदल डाला .....चलिए तो भी कहना तो है ही सुप्रभात

रात आ ही गयी

क्या लिखू कि रात आ गयी ..................क्या कहूँ कि कुछ सुकून पा गयी ...................पर सन्नाटो को इतना क्यों लाये .......................कि आंख खुद को नींद में बंद पा गयी ................मैं जानता हूँ कि  आलोक सब कुछ नही ..................पर अँधेरे में एक अहमियत दिखा गयी .........................कोई नही तो सपने साथ देने आ गए अकेले ..........................एक सुनहरी दुनिया फिर आगोश में  आ गयी ................शुभ रात्रि

Monday, December 17, 2012

क्या हकीकत को सुनाया तुमने

मैं सूरज के ख्वाब में डूबा नही ..................मैं कभी पूरब से ऊबा  नही ............तभी तो आती है रोज बिघोने मुझे ............किरणों का ये खेल कोई अजूबा नही .................आलोक नही तो क्या पाया तुमने ......................अंधेरो में सिर्फ सपने सजाया तुमने ........................हकीकत का नाम ही सुबह रखा है सबने .......................क्या भोर के शोर को कभी सुनाया तुमने ........................एक बार इस नश्वर शरीर में अपने कोई ढूढ़ लीजिये .आप खुद नही जान जायेंगे कि आपको कुछ ऐसा करना चाहिए कि आप नश्वरता में अमरता प् जाये ............तो आज ही से कहिये सुप्रभात

Sunday, December 16, 2012

कहा जाने लगी

लूट कर दिन भर का उजाला ...........रात जीत अपनी मनाने लगी ..............................सपनो की महफ़िल में उसका इंतज़ार ......................बन्द आंख में नींद मैखाने सी आने लगी ....................नशा ही नशा हर घर में फिर  दिखा ....................बिस्तर की याद हर शरीर को आने लगी ......................आओ थोड़ी देर खुद पर भरोसा कर ले ...................रात पूरब से मिलने कहा जाने लगी ...................अगर आप समय को चूक गए तो यह जान लीजिये कि सपना , नींद सब कुछ आपके हाथ से निकल जायेगा ................तो कीजिये हर पल का उपयोग और अभी के लिए कहिये .......शुभ रात्रि

Saturday, December 15, 2012

हकीकत से बोल गयी

रात बीत गयी आँखों को खोल गयी ..................सांसो से बात हुई दुनिया में डोल गयी ...................पूरब की लाली ने  सूरज का मुहं दिखाया ..........................सपनो से दूर करो हकीकत से बोल गयी ....................मैंने अपना वादा पूरा कर दिया पर आप क्यों सो रहे हैं .....कहिये तो सुप्रभात

Friday, December 14, 2012

सोचो क्या पाया है तुमने


हवा चली एक तमस को लेकर ......................सन्नाटा फैला एक हवस को लेकर .....................दौड़ खत्म हुई बिस्तर पर आकर ......................नींद दौड़ पड़ी कुछ सपने को लेकर.................सोचो क्या पाया क्या खोया दिन भर .......................ऐसे ही पल गुजरेंगे हमारे उम्र भर ...........................छोड़ कर क्या जाओगे अपने पीछे आलोक ........................अँधेरे के पार खड़ा एक उजाला भी बन कर ........................... क्या आप कुछ ऐसा नही करना चाहते जो आपके रोज खाने पीने , सोने से ऊपर हो और जो आपको जानवर की तरह नही मनुष्य की तरह अनुभव कराये ...............सोचिये ऐसा क्या है ????????????? चलिए सोते हुए सोच लीजिये ..शुभ रात्रि

Thursday, December 13, 2012

सूरज का अपना दर्द है

ऊब अकेले के जीवन से सूरज देखो आया है ..................दुनिया के लोगो से मिल कर वो भी कुछ पाया है ...................धूप दिखाकर पेड़ पौधों को उसने ही लहराया है ....................पर दुनिया में खुद को उसने पूज्य बनाया है .................सूरज की अपनी जिन्दगी है और जो देता है हम उसकी तरह कभी भी ध्यान  नही देते और इसी लिए सूरज का अकेला पण हम कभी नही देख पाते..............ऐसा नही है तो कहिये उससे सुप्रभात

अँधेरे से भागो नही

आज चला तो धूप में सुबह  कदम थे .......................पर रुके तो अँधेरे के हमदम थे .......................अच्छा करके भी अच्छा नही मिलता .......................पर दिल दिमाग के अपने दमखम थे .....................क्यों रुकते हो डर कर परिणाम से यहाँ ...........................क्या बता सकते हो तेरी मंजिल है कहा .......................जो सोचते नही डर कर बैठना कही ..............उन्ही की मुट्ठी में होता हैं सारा जहाँ ......................आप कुछ भी कर सकते है पर जब सही करने वाले के हिस्से में गलत आता हैं तो अँधेरे से भागना कैसा .......तो करिए स्वागत अँधेरे का और कहिये .....शुभ रात्रि

Wednesday, December 12, 2012

जीता वही जो रहा है अकेला

जीवन के पथ पर जो रहा अकेला .....................सूरज की तरह चमका बिन लगाये मेला ...............अँधेरा मिला तो तारें भी हस लिए ..................जीवन का राज है आज तक झमेला .................लेकर हम चल रहे जो ये साँसे ................भरोसा किया क्यों तुमने है इन पर .................... कर्म का पथ हमको पूरब दिखाए ................पश्चिम पर भरोसा करू आज किन पर ...............शुभ रात्रि

Tuesday, December 11, 2012

पूरब नही देता है हाला

ना रात है ना दिन का उजाला .......................नीला न गगन ना ही पूरा काला..........................पूरब का न सूरज न ही पश्चिम का .......................समय ला रहा आलोक का प्याला ....................कुहासे में डूबी प्रकृति का श्रंगार ..........................ओस की बूंद अमृत सी नही हाला .....................एक बार अंगड़ाई लेकर बाहर देख लो ...........................जीवन तोड़ रहा है कैसे तमस का जाला...................मैं आज सुबह सुबह पूरब की तरफ देख कर यह लिख रहा हूँ और न मुझे सूरज मिला और न ही चाँद बस है तो समय जो तमस को तोड़ कर पूरब ले लाली लेन की तैयारी  कर रहा है .................क्या आपने कभी प्रकृति का आनंद लिया ..............नही तो कहिये सुप्रभात तुरंत

कही समय मिल जाये

कितना दर्द सहूँ कि सृजन हो जाये ......................कितनी देर रुकूँ कि समुन्दर हो जाये ..............चलते चलते नदी का मीठापन खो गया ...............कब तक हो  बंद हो आंखे कि सबेरा हो जाये .....................अगर आपको समय मापना आ गया तो जो आप चाहते हा वह आपको यही मिल जायेगा ............शुभ रात्रि

Thursday, December 6, 2012

क्या सूरज कम परेशां है

आज की सुबह कुछ तंग है ...............परेशान थोडा कोहरे के संग है .....................जुटी है जतन से बाहर के लिए ..............क्योकि पूरब का अपना ही रंग है .............कुहासा का भी जीवन अपना है .....................उसका भी कोई तो सपना है .............आज सूरज से उसकी जंग है ................जीने के उसका अपना ही ढंग है .......................आप जीवन को यह समझ कर कि उसमे परेशानी  नहीं आनी चाहिए जीते है पर सूरज को क्या कम परेशानी  है बादल कोहरा सबका सामना करके वह हमारे बीच आता है ......................तो कहिये सुप्रभात

रात सिखा गयी मुझको ........................

रात ने हमको तारो से मिलाया ..................रात ने सपनो को पास बुलाया ........... आलिंगन का दौर बंद पलकों में ......................... रात ने सृजन का मतलब समझाया .................रात से मिलकर थकान का एहसास ..................एक पल सोने का मजा मुझे दिखाया ......................आलोक को क्यों पूछूं जब रात है .....................सुहाग को सुहागा सोने सा बनाया .....................कहते है रात यानि कालिमा का अपना ही मजा है और अगर रात ना होती तो सुकून के वो क्षण न होते जिनके सहारे हम खुद को महसूस करते है .................सच है ना तो कहिये शुभरात्रि

Wednesday, December 5, 2012

रात के उजाला भी होता है

अपने दायरे को पाकर सूरज चमकता है .......................एक ऊचाई पर रहकर ही धधकता है .....................डूबना उसके भी हिस्से में आता है रोज ....................... रात का रास्ता उसके सामने भी पड़ता है .............हर कर्म का अपना एक परिणाम होता है .......................कोई रोकर तो कोई हस कर रोता है ...................आओ सोच ले इस सुबह के दर्शन को ........................आलोक भी सबके दामन कुछ तो होता है ..........................शायद इस सच से हम दूर नही जा सकते की कितना भी पौष्टिक और सुपाच्य भोजन कीजिये पर मल का निर्माण अवश्य होता है ........उसी तरह से जीवन में चाहे जितना अच्छा बुरा करेंगे ............उसके दुसरे परिणाम भी आयेंगे ................अगर यह सच है तो कहिये सुप्रभात

chala jata hai

रौशनी का जरा सा साथ ..............पाकर कली खिल तो गयी ..............पर पश्चिम का हुआ नही सूरज ...............कि देखो मिटटी में मिल गयी ................रात को कहा तरस आता है ................. उसे बंद आंख में मजा आता है .....................तुम  सपने  की आदत डाल लो ...............वरना सच में कोई सो जाता है .................... अगर आप ने बुरे के साथ जीना नही सिखा तो वह आपको ख़त्म कर देगा ..............इसी लिए रात में सोने का अपना मजा है ....तो चलिए कहिये शुभ रात्रि

Tuesday, December 4, 2012

raat gayi baat gayi

रात गयी बात भी गयी ..............लेकर सपनो की बारात गयी ................रोक भला कौन पाया है उसको ....................आराम की हर अब बात गयी ................लेकिन अपने पीछे जो छोड़ा ....................वो देकर पूरब का साथ गयी .............देखो कैसा चमक रहा सूरज है .....................आलोक से नहलाने के बाद गयी ......................ऐसा नही है कि जीवन में सब कुछ ख़राब ही होता है ...रात जब जाती है तो कालिमा सपनो से दूर हमको हमरी मंजिल  , सूरज के साथ छोड़ जाती है तो फिर कहिये सुप्रभात

sapne la rha hun

दुनिया का अँधेरा आँखों में बसा कर ............................बंद पलकों में अब उनको छिपा कर .......................एक सपना ढूंढ़ने कही जा रहा हूँ ..................सच मानो तुझे अपने पास ला रहा हूँ ....................हर कोई देखता जब बातें होती तुमसे .......................तुमको सन्नाटो में करीब ला रहा हूँ ......................शुक्र है अँधेरा और सपनो का आलोक ..................रात में अकेले खुद न सोने जा रहा हूँ .......................दुनिया में न जाने कितने वो नही पते जो वह चाहते है .ऐसे में रात का आना कितना सुखद है क्यों की अँधेरे में डूब कर सपनो में खोया जाता है ..........और जो न पाया वही आँखों में आता जाता है .......तो देर कैसी कहिये शुभ रात्रि

Monday, December 3, 2012

lipat gaya

सुबह से ऊब कर सूरज छिप गया ...............चाँद भी आकर अँधेरे से लिपट गया .................मैं क्या करू अब जाग कर आलोक ...................नींद की आगोश में झट सिमट गया .................कल तक लगा सब जीते ही नही अब .......................टिमटिमाते तारे से कोई दीपक निपट गया .............कुछ देर दुनिया से दूर आओ चले हम .......................... जिन्दगी का दौर फिर मुझे झपट गया ............................न जाने क्यों हम यह समझते है की कोई उसके लिए जी रहा है पर ऐसा है नही ......बस आपके रस्ते में कोई आ जाता है और आपको लगता है कि वो आपके साथ साथ है पर दोनों अपना अपना रास्ता जीते है ...जैसे अभी रस्ते में रात आ गयी और हम कह उठे ...शुभ रात्रि

Sunday, December 2, 2012

raat sikha gayi mujhko

रात सिखा गयी आज जीना मुझको ................अंधेरो से कैसे हस कर मिले बताया मुझको .....................कैसे तक बीत जाती हम कब जान पाते...................... कठिन दौर में सोना बता गयी मुझको ..................कुछ तो होगा जो संघर्ष में कर सके .................. माँ की कोख के अँधेरे से मिला गयी मुझको .....................अँधेरे से भाग कर कहा तक जाओगे .........................दिल के अँधेरे में प्रेम दिखा गयी  मुझको .......................नींद , दिल , माँ की कोख सब अँधेरे में रह कर अपना सबसे अच्छा परिणाम देते है तो आप अँधेरे को देख भाग क्यों रहे है ...............शायद आप के जीवन में कुछ अच्छा होने वाला है ..........पर आप तो रौशनी के आदि हो चुके है तो कहिये सुप्रभात

Saturday, December 1, 2012

ye prem kaisa hai

हाथ छुड़ा कर चली रात जब ...................नींद को छोड़ खुली आँख तब ...........जो देखा वो मन को भाया.................पूरब मिलने मुझसे था आया ..............अन्जाना वो भी न मुझसे ................पर लगा उसे आज ही पाया ............भरी चपलता चाल में मेरी .............आलोक का स्पर्श कुछ ऐसा छाया ........................प्रेम की अपनी दास्ताँ है और उसे समझना किसी के बस में नही है पर ऐसा लगता है कि हम अपनी जरूरत के अनुसार प्रेम करते है .कभी रात के कभी दिन के किसी एक के होकर रहना हमारी फितरत नही है पर सोच तो सकते है ना तो चलिए कह ही देते हैं सुप्रभात

kab miloge mujh se

रोज रात कहती है मुझसे ........आलिंगन मैं करती तुझ से .........कब तक यूँ ही मिलोगे मुझसे .............पूरी कब बन पाऊँगी तुझसे ..............अब मुझसे ये सहा न जाता ...................जब पूरब तुमको है गले लगाता................चलो आज फिर सपने दिखाऊ .............शायद तुमको पूरा पा जाऊ ...................... क्या इस प्रेम को आपने कभी महसूस किया हैं और नही किया इसी लिए कब चले जाते है पता नही चलता .............इसी लिए कहिये शुभ रात्रि