Sunday, May 18, 2025

दुनिया में अगर मां है -आलोक चांटिया "रजनीश"

 

दुनिया में अगर मां है
तो सब कुछ हां है
एक अंतहीन डोरी के साथ
कोई कहीं भी दौड़ जाता है
जब वह अपने जीवन में
मां का साथ पाता है
लगता ही नहीं कि जीवन में
कुछ भी अधूरा सा है
मुट्ठी में बंद दुनिया का
हर क्षण पूरा-पूरा सा है
ऐसा ही लगता है जब मां का साथ
किसी के भी जीवन में होता है
दुख हो दर्द हो रोना हो गाना हो
सब कुछ मां के आंचल में खोता है
जानने की जरूरत ही नहीं पड़ती है
कि भगवान कहां रहता है
कोई पूछता भी है कि क्या
तुमने भगवान को देखा है
तो मन का इशारा सिर्फ मां कहता है
जीवन के हर हिस्से में
एक प्रसन्नता सी हिलोर मारती हैं
जब मां की हंसी में लगता है
जीवन एक आरती है
इसीलिए जिसके भी जीवन में मां होती है
सच मानो उसके चारों तरफ
सिर्फ हां में हां ही होती है
आलोक चांटिया "रजनीश"

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