Wednesday, June 7, 2023

कैसे कह दूं सुबह मुझे मयस्सर ना हुई

 कैसे कह दूँ सुबह मुझे मयस्सर ना हुई ,

कई कह दूँ पूरब आफ़ताब की ना हुई ,

पर ना जाने क्यों मन में बादल छाये ,

रौशनी तो दिखी पर कही रौशनी ना हुई l

आलोक चांटिया

No comments:

Post a Comment