पेट की आग में हर शर्म जल कर राख हुई ,
घूँघट के अंधेरो में फिर आज बरसात हुई ,
गूंगो की बस्ती में घुंघरू बस बजते ही रहे ,
दर्द से सड़क पर मुलाकात अकस्मात् हुई .................
एक ऐसी लड़की जिस से आज मै ऐसी जगह मिला झा सोचा ना था और अपने अधिकारों से दरकती भारत माँ की भारत पुत्री भारत पुत्रो से तार तार हुई ....क्यों न ऐसे देश पर फक्र जहा घुंघरू की गूंज आज भी है .............जय भारत पाने गरिमा को जानिए ..........डॉ आलोक चान्टिया
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