Wednesday, June 21, 2023

कोई नहीं मैं निपट अकेला ............. चारदीवारी से करता बातें ..........

 कोई नहीं मैं निपट अकेला .............

चारदीवारी से करता बातें ................

पत्थर के भगवान सही ................

संग उनके कटती है रातें ..............

सो जाता जब नींद में गहरी ...............

भगवान सभी चिल्लाते है .......................

हमें अकेला निपट छोड़ क्यों  .................

मानव खुद सो जाता है .................

सर पटकते , रोते रहते ................

जब मंदिर में मेरे आते है .................

कमरों में लटका फिर हमको ...............

पहरेदारी रात करवाते है ...................  जब आप अपने को अकेला कहते है तो सीधे भगवान के अस्तित्व को नकारते है और तब उस भगवान को कितनी पीड़ा होती होगी जो आपके घर में २४ घंटे दिवार पे लटक कर , मंदिर में बैठ कर आपको बचत है ...यानि मानव भागवान का मूल्य तक अनहि समझता और फिर जब भगवान उदासीन होता है तो सिर्फ तांडव होता है ......मौर का सैलाब आता है ........आप मानिये चाहे न मानिये ...................शुभ रात्रि

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