Tuesday, June 13, 2023

मैं जानता हूं फितरत कविता द्वारा आलोक चांटिया

 मैं जानता हूँ फितरत 

क्या है मेरी खातिर ,

हम उम्र भर जिंदगी ,

के लिए वफ़ा करते है ,

और फिर मौत के लिए ,

मर लिया करते है ,

फिर तुम क्यों मारते हो ,

खंजर पीठ मेरे पीछे ,

 दिल में आकर रह लो ,

धड़कन के पीछे पीछे ,

तुम्हे एतबार नहीं है ,

खुद अपने पैतरे पर ,

हस कर जो मुझसे मिलते ,

राज करते दिल पर ,

मैं जानता था फितरत ,

तेरी लूटने की कबसे ,

ये जिंदगी भी रहती ,

ये लाश कहती है तुझसे .....................

धोखा मत दीजिये क्योकि जीवन अनमोल है किसी को मार कर आप सिर्फ अपने जानवर होने का सबूत देते है

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