Sunday, June 11, 2023

जो आपने बही कुछ बातें कहीं

 ये  दैनिक जागरण समाचार पत्र में प्रकाशित हुई है 


जो आँखे बही ,

कुछ बाते कही ,

मौन के शब्द ,

है दिल स्तब्ध ,

नीरवता की लय ,

ये कैसी पराजय ,

मन है अशांत ,

जैसे गहरा प्रशांत 

हिमालय से ऊचे ,

जमीन  के नीचे ,

तड़प है ये कैसी ,

अँधेरे के जैसी ,

समुद्र सिमट आया ,

पा आँख का साया ,

 थे बादल से  सपने ,

हुए ना आज अपने ,

बरसे तो खूब बरसे ,

सन्नाटो के डर से ,

क्यों अकेली आत्मा ,

पूछती परमात्मा ,

कसूर क्या है मेरा ,

चाहा सच का बसेरा ,

रावणो की लंका ,

क्यों न हो आशंका ,

तार तार है सीता ,

 है मन भी आज रीता ,

जब मिला न सहारा ,

तो सब कुछ था हारा,

ज्वार भाटा सा आया ,

जब आँखों का साथ पाया ,

सच निकल पड़ा बूंदबन कर ,

दुनिया के सामने तन कर ,

रोया जब झूठ ही पाया ,

आँखों के हिस्से क्या आया ,

खारा पानी , दर्द ,खुली पलके ,

क्या पाया जिंदगी यूँ जलके ................

जिंदगी में सब सच सामने आता है तो आंसू काफी काम आते है पर आंसू को खुद क्या मिलता है 


डॉ आलोक चांटिया


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