आलोक चान्टिया कीकविता और शायरी - ALOK CHANTIA
Sunday, November 17, 2019
मैं आलोक हूँ क्योकि मुझे
मैं आलोक हूँ क्योकि मुझे,
अँधेरे को समेटने का हुनर है,
तुम भी अपने हिस्से का दे दो
मुझे उसे अपनाने का जिगर है
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